10वीं के बाद विषय का चुनाव जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। यदि करियर प्लानिंग के लिहाज से विषय का चुनाव किया जाए तो लक्ष्य हासिल करना आसान हो सकता है लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। कोई आईएएस करना चाहता है लेकिन परिवार के दबाव या अन्य कारणों से ऐसे विषय ले लेता है जो यूपीएससी में स्कोरिंग नहीं है। बाद में नए विषय लेकर तैयारी करना पड़ती है, जिसमें समय भी अधिक लगता है और मेहनत भी ज्यादा करना पड़ती है। इसके विपरीत यदि पहले से स्कोरिंग विषय लें तो 10वीं से लेकर ग्रेजुएशन तक के सफर को ही आईएएस की तैयारी में बदला जा सकता है।
विषय के चयन को लेकर ज्यादातर स्टूडेंट गलती करते हैं। इस वजह से उन्हें आगे काफी परेशानी या मनोवैज्ञानिक दबाव का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है इस समय आयु कम होने से वे या तो वे अपनी रुचि खुलकर प्रकट नहीं कर पाते या किसी न किसी के दबाव में समझौता कर लेते हैं, इसका नुकसान बाद में उठाना पड़ता है।
खुद का विश्लेषण करें
स्टूडेंट जिस विषय को कम पढऩे के बाद भी अच्छा स्कोर कर लेते हैं, उसी विषय में करियर बनाने की सोचें। खूब पढऩे के बाद भी यदि कोई विषय बोझिल लगे तो उसे चुनना ठीक नहीं हैै।
जानकारी जुटाएं
स्टूडेंट्ïस का 10वीं के बाद जिस विषय में रुझान हो उसके बारे में खुद जानकारी प्राप्त करें कि उसमें क्या-क्या ऑप्शन हो सकते हैं। इंटरनेट, किताबें और लाइब्रेरी इसके अच्छे सोर्स हो सकते हैं।
आईक्यू परखें
किसी विषय को पढऩे, समझने और याद करने की क्षमता कितनी है, इसकी जानकारी होने से विषय चयन आसान हो जाता है। पैरेंट्स मनोवैज्ञानिकों की सहायता लेकर बच्चे का आईक्यू असेसमेंट करा सकते हैं।
व्यक्तित्व से मैच करें
बच्चे का स्वभाव उसके विषय के चयन के साथ मेल खाता है या नहीं इसकी जानकारी लेना मददगार हो सकता है। पर्सनाल्टी असेसमेंट टेस्ट से बच्चे के गुणों के बारे में पता लगाया जाता है।
योग्यता जांचें
विषय चुनाव से पहले बच्चे का एप्टिट्यूट असेसमेंट कराने से उसकी क्षमताओं के बारे में जानकारी मिल जाती है। इसमें भाषा की जानकारी, तार्किक क्षमता सहित विभिन्न प्रकार की स्किल का पता लगा सकते हैं।
रुचि का पता लगाएं
जिस विषय को बच्चा 11वीं से लेना चाहता है, उसमें उसकी रुचि कितनी है इसकी जानकारी इंटरेस्ट असेसमेंट से की जा सकती है। आप खुद भी उससे जुड़े कुछ सवाल पूछकर यह जान सकते हैं।