नई नौकरी के लिए इंटरव्यू देते समय जो बात सर्वप्रथम किसी कैण्डिडेट के दिमाग में आती है वह है सैलेक् शन होना व सैलेरी। आम तौर पर कॉर्पोरेट वल्र्ड में भी पद के साथ साथ सैलेरी के बारे में भी एक दुविधा की स्थिति बनी रहती है कि इस संबंध में कैसे बात की जाए। कैण्डीडेट के मन में कहीं न कहीं यह आशंका बनी रहती है कि अधिक सैलेरी की मांग से कहीं जॉब न हाथ से निकल जाए, या कम सैलेरी पर यदि कम्पनी सैलेक्ट कर लेती है तो अच्छा पद मिलने के बाद भी आप अच्छी सैलेरी से महरूम न रह जाएं, जरूरी है कि इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए-
-—अपनी मार्केट वैल्यू का अंदाजा रखें यह आपको अपने क्षेत्र में कार्यरत प्रोफशनल्स की औसतन सैलेरी से भी पता लग सकता है। या जैसा कि आजकल अनेक जॉब सर्च के विकल्प इंटरनेट पर मौजूद हैं, उन पर अपने पद,अनुभव आदि के आधार पर भी सैलेरी का अनुमान लगा सकते हैं।
-—ऑफर मिलने के साथ ही सैलरी पर मोलभाव करना कुछ जल्दबाजी हो सकती है,पहले इस संबंध में नियोक्ता की ओर से कुछ रेस्पांस आने का इंतजार करें व फिर थोड़ा थोड़ा रुककर अपनी डिमांड रखें। इससे यह इंप्रेशन भी जाएगा कि आपने सोच-समझकर अपनी मांग रखी है।
-—किसी कम्पनी की एच आर पॉलिसीज क्या हैं, यह भी एक महत्तवपूर्ण पहलू है, इसीलिए सैलेरी के साथ साथ इस पर भी ध्यान दें,कम्पनी का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है, उसकी मार्केट स्टैङ्क्षडग क्या है इस पर भी गौर करें। सैलेरी के साथ अन्य क्या सुविधाएं मिल रही हैं उन पर भी गौर करें जैसे-हेल्थ, टैक्स, फ्लेक्सिबल टाइम, इंश्योरंस जैसी सुविधाएं आदि।
-—और सबसे खास बात,सैलरी आपको आपकी योग्यता व कम्पनी के नॉम्र्स के अनुसार दी जाती है, इसके बारे में
अधिक जिद-
बहस करना
उचित नहीं,यहां आप अपनी मांग रख सकते हैं और कम्पनी की बात सुन सकते हैं इस संबंध में कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करना आपका ध्येय होना चाहिए,इस दौरान कड़वाहट भरी बातें करना या अपने रूख पर अडऩा उचित नहीं-यथा संथव कम्पनी की सीमाओं को जानते हुए अपनी मांग मनवाने का प्रयास करें।