-जिस बीमारी का उपचार सही खान-पान से किया जा सकता है, उसका उपचार किसी दूसरी चीज़ या दवा-दारू से नहीं किया जाना चाहिए।
-किसी इंसान को खाने को दें। उन्हें खाना खरीदने के लिए पैसा कमाने के तरीके सिखाएं। यानी उनमें कोई स्किल डेवलप करें। उनके दिमाग को सही दिशा दिखाएं।
-चाहे जिस भी स्रोत से आए, लेकिन सच को हमेशा स्वीकार करें।
-आगे बढ़ना चाहते हैं तो खुद को- आई डॉन्ट नो बोलना सिखाएं।
-लोगों को दान करना यानी दूसरों को देने की कला सिखाएं। इस तरह से गरीबी को खत्म किया जा सकता है।
-किसी बात को सिर्फ इसलिए सच समझें क्योंकि वे किताबों-पुस्तकों में लिखी गई हैं। जो व्यक्ति झूठ बोलना जानता है, उसके लिए झूठ लिखना बड़ी बात नहीं होगी।
-एस्ट्रोलॉजी कोई विज्ञान नहीं है। यह एक फैले हुए विशाल वृक्ष की तरह है, जिसके नीचे हर प्रकार का झूठ और अंधेरा रहता है।
-मुश्किल समस्याओं का हल ढूंढ़ने के लिए रात को सोने से पहले खुद से, एक बार बात जरूर करें।
मन ही मन यह सोचने की जरूरत नहीं है कि सबसे मुश्किल परेशानियों को कोई कोई तो सही तरीके से समझ ही जाएगा। ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है।
-भगवान की तुलना कभी, किसी भी चीज़ या व्यक्ति के साथ नहीं की जा सकती है।
-प्रकृति में घटने वाली हर चीज़ का कोई कोई मतलब जरूर होता है। कोई भी चीज़ गैर-जरूरी नहीं होती है।
-एक बेकसूर को जेल में डालने की बजाय १०० कसूरवारों को उनके किए की सजा देने से असली सुकून मिलेगा।
-हर इंसान को मालूम होना चाहिए कि धरती पर उसे कहां रहना है या क्या काम करना है। उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि पूरी दुनिया उसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
-खुद के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना, धन एकत्रित करना ही मनुष्य के दुखों का सबसे बड़ा कारण बनता है।
-जरूरतमंदों को कुछ देने से कभी कोई व्यक्ति गरीब नहीं बनता है।
-अगर कोई व्यक्ति कुछ चीज़ों को सुधारने या दुरुस्त करने की कला जानता है तो इसका अर्थ यह नहीं कि वे हर चीज़ को सुधारने का हुनर रखता है।
-आपका लक्ष्य हर चीज़ को जानने का होना चाहिए। कम से कम उतनी जानकारी होनी ही चाहिए जितनी बहुत जरूरी है।
-जिन विचारों के साथ कोई व्यक्ति अपनी युवा अवस्था में जुड़ता है, उन विचारों की रक्षा पूरा जीवन करता है।