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Work Place Politics tips dealing office politics

True Life Workplace Politics Hindi Story- बॉस कौन? is the most important factor in one’s life. Somebody is dominating our life. And for somebody we are the Boss. So. read on…

सनाया और मौनी चाय की चुस्कियां ले रही  थी दफ्तर मैं बैठी.

यार सनाया वो समता थी न , उसे तूने जॉब से निकलवा दिया. कैसी चहेती बनी फिरती थी बॉस की. यस सर,यस बॉस.
हाँ यार उसे और कोई नहीं मिला इस बुड्ढे को अपना आइडियल पर्सन   मानती थी . निकाल दिया आइडियल पना.
यार कैसे कैसे लोग होते हैं?

Workplace Politics is here to stay. But why?

हमारे ऑफिस में  कोई आये और हमारी चाकरी करने के बजाय बॉस के आगे पॉइंट बनाने लग जाये, और हम उसे रहने देंगे?
तू तो पहले दिन से ही उसे पसंद नहीं करती थी.

यार इतने बोरिंग लोग, पाठ पूजा, रोना धोना, बच्चों जैसा नेचर, बोरिंग.. वैरी बोरिंग..इतनी इंट्रोवर्ट..
किया क्या तूने?
यार यह गांवों से निकल कर शहर में काम करने आते हैं न इन्हे अपनी इज़्ज़त बहुत प्यारी होती है, वहीं अटैक किया.बस मैडम के कान भर दिए सर का उसके साथ लफड़ा चल रहा है. मैडम तो वैसे ही हम अपने दिमाग से चलाते हैं.
रहने दे,मैडम तो तुझे ही निकालने वाली थी उसकी वजह से .

पर निकाला तो नहीं, ऐसे ही इतने सालों से ऑफिस में नहीं बैठे हम… मुझे निकालने चली थी, पर मैंने तो उल्टा ही कर दिया.
यार उसने तो तेरा कभी बुरा नहीं चाहा था, वो तो मैडम को तेरी परफॉरमेंस का कुछ इशू था. खैर, क्या हुआ उस समता का?
मैंने सुना गांव वापस चली गयी है,कोई ढंग का लड़का भी नहीं मिला उसे, सुना है उसकी फॅमिली कर्ज़ में डूबी है, और भी कुछ प्रोब्लेम्स हैं उसकी.
यार इतना बुरा भी नहीं करना चाहिए था उसका.
भाड़ में जाये वो और उसका खानदान, उसकी वजह से मैंने डांट खायी ऑफिस में सबके सामने,ऐसे तो मुझे कभी नहीं पड़ी.ऐसा हश्र तो उसका करना बनता ही था.
उसको लगता था बॉस उसे कभी नहीं निकालेगा, निकाल दिया..
अब गालियां देती होगी बॉस को..
अरे यार बॉस तो उसका आइडियल पर्सन था..उसपे उसे जितना भरोसा था, हम पर नहीं किया कभी उसने.
अरे अब तक तो उसका तो क्या,उसके पूरे खानदान का आइडियल पना और भरोसा निकल गया होगा. चल कचौड़ी खा तू तो..
यार वैसे वो एक इमोशनल लड़की थी, सुना है उसके पेरेंट्स ने आगे से जॉब करने से या दूसरे शहर जाकर काम करने भी मना कर दिया उसे.
हाँ हमारे जैसे प्रोफेशनल थोड़े ही थी …हा हा हा! पागल होतें है ऐसे लोग. वैसे उसका अपना ही बेचारी का दिल टूट गया होगा.

बॉस केबिन से निकला ही था कि उसने यह सब बातें सुनी, सोच रहा था कि बॉस मैं हूँ या मेरे एम्प्लाइज,मेरे हाथों से वो पाप करवाया, जो मैं नहीं करना चाहता था और समता को वापस बुला भी नहीं सकता, मेरी बीवी को ऐसी पट्टी पढ़ाई है. ‘पागल थी वो’ यह बात उससे सहन नहीं हो रही थी. वह सोच रहा था,मुझ पर भरोसा किया उसने सिर्फ मुझ पर, सारे स्टाफ से उलझी वो मेरी खातिर, और मैं उस प्रतिभा को,उस टैलेंट को संभाल नहीं पाया.मैंने उसकी तरक्की के सारे रास्ते बंद कर दिए. मेरे ऑफिस में काम करने वाले कितने लोगों को मैंने गरीबी से उठा कर अमीरी का स्वाद चखाया और वो जिसे मैं वास्तव में तरक्की करते देखना चाहता था,

वोआज ऐसी दयनीय हालत में है कि जहाँ मैं उसकी किसी तरह मदद भी नहीं कर सकता. उसका दिल हो रहा था कि वह आज अपना सिर दीवार से फोड़ डाले.आज उसे अपनी सारी धन दौलत,पद प्रतिष्ठा होने के बाद भी लग रहा था कि वह दुनिया का सबसे असहाय और कंगाल व्यक्ति है जिसका सामर्थ्य और धन समता के काम नहीं आ सकता था.उसे लगा कि वह नाम मात्र का बॉस है, चला तो उसे उसके कर्मचारी रहे हैं,

आज उसने जिंदगी की सबसे बड़ी हार का सामना किया था,जिसे वो झेल नहीं पा रहा था, ऐ सी केबिन में भी उसके माथे पर पसीना आ रहा था.
अगर आप भी किसी कंपनी या संस्थान के बॉस हैं,

ऑफिस के कर्मचारी किसी मासूम का भविष्य बिगाड़ने की तैयारी मैं है,तो आप उस मासूम का साथ दीजिये और उसे किसी अन्याय का शिकार होने से रोकिये. गाँव से निकल कर शहर में काम करने की इज़ाज़त लोगों को बहुत कम मिलती है, और आपके द्वारा उसका एक रास्ता बंद कर देने से शायद उसके बहुत से या शायद तमाम रास्ते बंद हो जाएँ. जब एक प्रतिभा हाथ से निकल जाती है,

किसी का मन टूट जाता है,तो संभवतः वह इतना मज़बूत कभी नहीं हो पाता कि वह किसी और पर पर्सनल या प्रोफेशनल मैटर में विश्वास कर सके.किसी की प्रतिभा को आप ऑफिस पॉलिटिक्स का शिकार बना कर बर्बाद मत होने दीजिये.बॉस आप हैं,

अपने आप को ही बॉस रहने दीजिये. कर्मचारियों और चापलूस लोगों से अपने को बचाइये.सही समय पर सही निर्णय लीजिये ताकि किसी मासूम का भविष्य आपके हाथों बर्बाद न हो.

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