अपने शब्दों की शब्दावली
बनाने लगी तो अभाव हो गया पृष्ठों का,
अपनी खुशियों को संभालने लगी तो हृदय भवन कम
पड़ गया.
अपनी आशाओं के पंख फैलाये जाने पर,
विशद गगन कम पड़ गया.
अपने गीतों को गाने लगी तो सरगम का अभाव हो गया.
इतने वृहद विचार हैं मेरे,
की समाप्ति की कगार पर ही नहीं,
पर लिखने लगे तो शब्दकोष ही कम पड़ गया.
Keywords: Hindi Poems, Hindi Poetry, Hindi-poem, inspirational-hindi-poem, Poems and Songs, Poems In Hindi, जिंदगी पर कविता | Hindi Me Kavita on Life