homescontents
Thoughts That Motivate You

जिंदगी पर कविता | Hindi Me Kavita on Life

परिवर्तन
और कुछ नहीं मै समय बिताने को पुस्तकें पलटती रही,
हृदय के दर्पण पर बरसों धूल यूँ ही जमती रही.
कब इतनी निष्ठुर थी मैं,
स्वयं में परुषता अनुभव करती रही,
अपने आपको ढूंढती,
स्वयं में उलझती रही,
विभिन्न परिवर्तनों के परिणामतः कल्पनाएं मेरी बदलती रही,
कभी अतीत कभी वर्तमान में उलझती रही,
जाने किन आदर्शों का अनुकरण मैं करती रही.

जिंदगी पर कविता | Hindi Me Kavita on Life

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *