Short Motivational Story in Hindi : वुमन एम्पावरमेंट is a story of small town girl, who is more ambitious than others. But did he really able to cope up with the situations. Read on..
सुरभि बचपन से इसी मोहल्ले मे रह रही है, जब उसकी जॉब लगी तो उसे दूसरे शहर में में शिफ्ट होना पड़ा, तभी उसके पिता की तबियत खराब हो गयी उसे घर लौटना पढ़ा.
जॉब वो छोड़ना नहीं चाहती थी पर अब छूट गयी तो उसने स्वयं को घर के कामों में व्यस्त कर लिया. घर के हालात ऐसे थे कि वह उन कामों में ही उलझ कर रह गयी. जॉब छोड़ने की कुंठा उसके भीतर ही भीतर उसे दंश देती रहती. स्वभाव में जो मिठास थी वो कुंठा के कारण कड़वाहट में बदलने लगी. तभी पड़ोस में उसके साथ पढ़ी एक लड़की आकर रहने लगी, सुरभि वैसे ही अपसेट थी नैना उसके साथ पढ़ी थी,यह उसे याद भी न था, खैर वह पडोसन बन गयी थी. पड़ोसन मे पड़ोसनों वाले सभी गुण थे, यानि तांक झांक,इधर की उधर करना.
सुरभि को यह सब बातें पसंद नहीं थी. सारा दिन नैना सुरभि की खबर इधर उधर करने के बहाने ढूंढती रहती. सारा दिन स्वयं, उसका पति,बच्चे सब उसकी जासूसी करते रहते. आखिर एक दिन सुरभि की नैना से लड़ाई हो गयी,कि वह उसके घर के कामों में हर समय तैनात होकर दखल क्यों देते रहते है. नैना ने स्पष्ट मनाकर दिया. गुस्से में आकर सुरभि ने कहा कि मैं तुम पर केस कर दूंगी,
नैना के पति ने कहा कर दो. वो भुनभुनाती हुई आयी क्योंकि उसे ऐसा कुछ करना तो नहीं था. नैना और उसका पति, उसके सब लोफर दोस्त उन्होंने सुरभि के पीछे लगा दिए,कि यह अपने को समझती क्या है, इसकी सारी हेकड़ी हम निकालेंगे.नैना और उसका पति सुरभि के परिवार वालों से ऐसे व्यवहार करते मानो कोई देवदूत हों,जब सुरभि से व्यवहार होता तो सारे मोहल्ले वाले मिलकर कभी गाने बजाकर,कभी शोर मचा कर,ऐसा हल्ला गुल्ला करते की सुरभि डिस्टर्ब हो जाती.
यह छेड़छाड़ जब ज्यादा ही बढ़ गयी तब सुरभि की मां तो थी नहीं उसने अन्य पड़ोसन संतोष से सब कह डाला. वह भी कुछ कम न थी. वह भी सारा दिन लगातार छेड़छाड़ प्रोग्राम में सम्मिलित रहती, बाद में राम राम कहकर अपनी ‘विष भरा कनक घट जैसे’ वाले तरीके से वहां से चली जाती.
सुरभि का दिल करता कि वो ऐसी गिरगिट छाप पड़ोसनों से कभी बात ही न करे, सारा मोहल्ला खिलाफ, सारा शहर खिलाफ,जहाँ जाये वहां सब लोग खिलाफ, आखिर हो क्या गया? सुरभि को ऐसा लगता कि मानों यह औरते न हो, वेश्यालय की वो औरते हों जो लड़कियों के बारे में सौदा करती हों. इतनी बूढी हो चुकी है, बहुएं घर से निकालने में आमादा है, पैर कब्र में लटके हैं, फिर भी गुंडों के साथ मिलकर हुडदंगबाज़ी करने से बाज़ नहीं आतीं, आखिर सुरभि और उसके परिवार के लोग उस जगह को छोड़ कर दूसरी जगह रहने लगे पर गुंडे मवाली तो हर जगह हुडदंगबाज़ी करने पहुँच ही जाते हैं.
वहां भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी उसे परेशां करने में, सारा शहर जानता है कि उसे तंग किया जा रहा है, सारा स्टेट जानता है, मंत्री वर्ग जानता है,पुलिस डिपार्टमेंट जानता है, सब पत्रकार जानते हैं, पोलिटिकल लीडर्स जानते हैं, वकील जानते हैं,जज जानते हैं, पर सुधार कोई नहीं करेगा,क्योंकि कंप्लेंट तो दर्ज नहीं हुई.
सुरभि घर में चिल्लाती है कि इन सब लोफरों को भगा दो, कोई. सब सुनते हैं और फिर भी तत्परता से बिना देर किये और हुडदंगबाज़ी करने का नया तरीका ढूंढ कर उसके आस पास सारा दिन चक्कर काट ते रहते हैं, उसने अपने पिता से पूछा पिताजी इतने सारे कानून होने के बावजूद हम उन लोगों के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज क्यों नहीं करते, पिता कोर्ट कचहरी और कानूनों के बारे में उससे ज्यादा समझते है,
उन्होंने कहा, कि इस मार्किट में २ लोफर थे जो सारा दिन लड़कियों के पीछे लगे रहते थे, सारी मार्किट के सब बड़े बूढ़ों,समझदार व्यक्तियों ने उन दो लड़कों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी तो वे कमिश्नर के बेटे और रिश्तेदार निकले, और केस चलना तो दूर, सब मार्किट वालों को यह कहा गया कि ये तो बहुत ही शरीफ लड़के हैं,यह तो लड़कियों की हिफाज़त करते हैं. जब कानून के रक्षक कानून के दलाल बन जायेंगे तो लड़कियां कहाँ सुरक्षित होंगी ?
तभी पलट कर उसकी एक बुआ बोली, ‘अरे! तुम भी किस शहर के लोगों के बारे में वुमन एम्पावरमेंट की बात करती हो, जब मैं छोटी थी तो यहाँ एक लड़की के लिए लड़कों ने गोलियां चला दी थी.’ सुरभि को बाहर कुत्ते भोंकते दिखाई दिए, वे एक कुतिया के पीछे पड़े थे, उसने सोचा साइंस में पढ़ा था कि मनुष्य का विकास जानवरों से हुआ है, पर लगता है कि आस पास के लोग तो अभी कुत्ते ही हैं जो मेरे पीछे पड़े हैं पर मैं तो कुतिया नहीं हूँ, मैं तो इंसान हूँ. मैं क्या करूँ? वो परेशां थी तभी पता चला कि वहां पर कोई साधु बाबा आएं हैं, उसने सोचा चलो उन्ही का सत्संग,प्रवचन सुने, उन्होंने ग्रंथों की पुरानी कथाये सुनाई, लोक सेवा और नारी कल्याण के लिए धन इक्कठा किया और चले गए,यह दानवीर करण कौन थे जिनसे उन्होंने धन इकठा किया,वही लोग जो सारा दिन अपनी गाड़ियां और बाइक लेकर सुरभि के घर के इर्द गिर्द चक्कर काटते रहतें हैं. सुरभि ने पढ़ा था, जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी’ (मां और जन्मभूमि तो स्वर्ग से भी बढ़कर होती हैं) पर जन्मभूमि तो उसे नरक से भी बदतर लग रही है, वही जन्मभूमि जिसके पेड़ों की छाँव में उसका बचपन बीता,वही जन्मभूमि जहाँ उसे अच्छा और सभ्य बनने का पाठ पढ़ाया गया, उसी जन्मभूमि पर इतने संस्कार हीन लोगों ने उसे घेर कर उसकी निजता,स्वतंत्रता और हंसी व संवाद पर अंकुश लगा दिया है. उसके पास कोई विकल्प नहीं है पर आज उसे अपनी सहेलियां जो दूसरे शहरों से इस शहर में पढ़ने आयी थी उन को दी गयी दलीलें कि ‘इस शहर के लोग बहुत अच्छे हैं,मेरा शहर बहुत प्यारा है,मेरे लिए यह स्वर्ग से भी बढ़कर है’ बेमानी नज़र आ रही थी .
सुरभि इस हद तक घुट गयी थी कि उसने वह किया जो उसे नहीं करना चाहिए था, उसने ज़हर खा लिया,उसकी डेड बॉडी लायी गयी, आस पास के लोग, रिश्तेदार सम्बन्धी सब जानते थे कि सुरभि ने आत्महत्या क्यों की.मंत्री लोग आये,पत्रकार लोग आये; नारी सशक्तिकरण की मांग उठी, नेताओं को वोटर आकर्षित करने का बहाना मिला, मीडिया को सनसनीखेज न्यूज़ चलाने का,सोशल एक्टिविस्ट भी अपनी एक्टिवनेस दिखाने के लिए कैंडल मार्च करने निकल पड़े. ‘सुरभि अमर रहे! सुरभि को न्याय कब मिलेगा’ के नारे लगे. तभी उसकी पड़ोसन संतोष आयी मगरमच्छ के आंसू लिए, कहने लगी,’बहुत अच्छी, नेक लड़की थी,कभी ऊँची आवाज़ में किसी से बात नहीं की. बहुत शरीफ थी.’सुरभि की सहेली जो वहां पर शोकसभा में यह तमाशा देख रही थी उसका जी किया कि संतोष का गला घोट कर मार डाले. पर क्या करती ?
पत्रकार इस खबर को भुनाने में लगे है. लीडर अपनी सियासी रोटियां सेंक रहें हैं. शहर के गुंडे,मवाली उत्साहित हैं उन्होंने सुरभि की जन्मभूमि का नाम डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अब कोई लड़की इस पुरुष प्रधान समाज में ऐसे गुंडों से ऊँची आवाज़ में बात नहीं करेगी. सोशल एक्टिविस्ट को नाम और यश पाने का सुनहरी अवसर फिर कब मिलेगा? वे कैंडल मार्च निकाल कर ‘नारी मुक्ति’ ‘नारी सशक्तिकरण’ के नारे लगा रहें हैं. पुलिस वाले रैली के बीच देख रहें हैं कि कोई उपद्रव न हो जाये. यह सब लोग तब कहाँ थे,जब सुरभि के साथ अन्याय हो रहा था क्या वे एक जीवन को लाश में परिवर्तित होने का इंतज़ार कर रहे थे? यह प्रश्न है.
यदि आप किसी के साथ ऐसा अन्याय कर रहें हैं तो रुक जाइये. और किसी को मूक स्वीकृति देकर ऐसा अन्याय होने दे रहें हैं तो रोक दीजिये.यह इंतज़ार मत करिये कि कोई लड़की ऐसे समाज में अपनी सुरक्षा के लिए कंप्लेंट करेगी. नहीं कर पायेगी, उसका परिवार इज़ाज़त नहीं देगा. आप ही मिलकर ऐसी अन्याय पूर्ण घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए नारी सुरक्षा को सुनिश्चित कीजिये. इससे पहले कि एक जीवन और उससे जुडी अनेकों महत्वाकांक्षाएं और जीवन के सुनहरी स्वप्न दम तोड़ दे,आप सक्रिय होकर कदम उठाइये ताकि किसी लड़की को यह न लगे कि उसकी जन्मभूमि नरक से भी बदतर है.