क्षेत्र चाहे फैशन डिजाइङ्क्षनग, ब्यूटी कंसल्टेंट, कोरियोग्राफी या फिर मॉडङलग का हो, इन सभी में महिलाओं का ही बोलबाला है। रितु बेरी, शहनाज हुसैन, फराह खान, रति विनय झा जैसे कई नाम हैं, जो न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
रितु बेरी
फैशन इंडस्ट्री में रितु बेरी ग्लोबल डिजाइनर के तौर पर पहचान रखती हैं। १९९० में उन्होंने अपना पहला क्लॉथ लाइन ‘लावण्या’ लांच किया। ‘लावण्या’ ने रितु की पहचान न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बनाई। ड्रेस डिजाइनिंग के क्षेत्र में उन्होंने कई नए प्रयोग किए। बॉलीवुड और हॉलीवुड के सेलिब्रिटी के लिए भी उन्होंने कपड़े डिजाइन किए। वे कहती हंै कि फैशन कोई ट्रेंड नहीं है, बल्कि यह आपका पर्सनल स्टाइल है। उन्हें माधुरी दीक्षित तथा निकोल किडमैन के ड्रेस डिजाइन करना पसंद हैं। भारतीय परिधान साड़ी, एक ऐसा परिधान है जो हमेशा फैशन में रहता है। बस जरूरत है तो उसे स्टाइल से कैरी किए जाने की। रितु कहती हैं कि सपने पूरे हों, इसके लिए सबसे पहले जरूरी है, सपने देखना।
शहनाज हुसैन
शहनाज हुसैन ने पारिवारिक परंपरा के विपरीत आयुर्वेद की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। वे कहती है कि ब्यूटी प्रोडक्ट में इस्तेमाल होने वाले केमिकल न सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नष्ट करते हैं। इसलिए मैंने हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट को अपनाया। इसके लिए उन्होंने लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क से ट्रेनिंग ली। १९७७ में उन्होंने ३५ हजार से अपना बिजनेस शुरू किया और जल्द ही उनके प्रोडक्ट ने स्किन केयर के लिए पूरे विश्व में अपनी पहचान बना ली। अपने हर्बल प्रोडक्ट में उन्होंने कई नए प्रयोग किए। आज १३८ देशों में उनके क्लीनिक की फं्रेचाइजी है। यहां तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं था, लेकिन लगातार मेहनत तथा कुछ नया करने की चाहत के कारण आज वो इस मुकाम पर हैं।
फराह खान
डायरेक्टर तथा कोरियोग्राफर फराह खान को डायरेक्शन भले ही विरासत में मिला हो, लेकिन आज यह मुकाम उन्होंने अपनी मेहनत से हासिल किया है। वे आज सैकड़ों फिल्मों की कोरियोग्राफी कर चुकी हैं। फिल्म ‘मैं हूं ना’ तथा ‘ओम शांति ओम’ उनके करियर का टर्निंग पॉइंट माना जाता है, लेकिन ‘मानसून वेडिंग’ तथा ‘बाम्बे ड्रीम्स’ और ‘वैनिटी फेयर’ जैसी फिल्मों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। कोरियोग्राफर तथा डायरेक्टर के तौर पर उन्हें कई बार फिल्म फेयर अवार्ड से पुरस्कृत किया गया।
फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया की डायरेक्टर जनरल रति विनय झा के अनुसार, ‘महिला फैशन डिजाइनरों के लिए शिखर तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। एक महिला के रूप में आपको कई भूमिकाएं एक साथ निभानी होती हैं और वह भी पूरे परफेक्शन के साथ। हर कामकाजी महिला को पूरे दमखम के साथ अपने लक्ष्य को पाना होता है ताकि कोई उस पर उंगली न उठा सके।’
तमाम चुनौतियों के बाद भी इन महिलाओं ने वह कर दिखाया, जो वे चाहती थीं। एक ऐसे देश में, जहां व्यक्ति का स्टेटस, रोजगार और मौसम फैशन का पैमाना तय करता है, इन महिलाओं के लिए शिखर तक का सफर आसान नहीं रहा होगा। फैशन डिजाइनर पायल जैन के अनुसार, ‘महिलाओं में फैशन सेंस जन्मजात होता है। सिर्फ कपड़े डिजाइन करने में ही नहीं, घर की सजावट में भी वे पुरुषों की तुलना में कहीं बेहतर होती हैं।’ रैंप पर कैटवॉक करने वाले मॉडल्स में भी महिला मॉडल ही ज्यादा सफल होती हैं। इन सेलिब्रिटी का मानना है कि महिलाओं और उनकी आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझ पाने के कारण ही महिलाओं ने फैशन की दुनिया में अपनी बादशाहत कायम रखी हैं।
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