Bhagavad Gita Mahabharata Important Life Lessons Best Quotations Sayings Collection Hindi
यदि किसी कार्य का आरंभ कर दें तो उचित यही है कि उसे पूरा कर दें अन्यथा जिस प्रकार शरीर में गड़कर आधा टूटा हुआ कांटा बहुत समय तक मवाद देता रहता है — वही परिणति उस कार्य की होती है।
जिसने अच्छी नीति नहीं अपनाई है और उत्तम उपाय से काम नहीं लिया है, उसका युद्ध में सर्वथा विनाश होता है। यदि दोनों पक्षों में समानता हो तो संशय तो रहता है तथा दोनों में से किसी की जय अथवा पराजय नहीं होती।
मन को ठंडा रखना चाहिए — ज्ञान या विवेक से ठीक वैसे ही जैसे जल से आग। यदि मन ठंडा हो गया तो ठंडे मन वाले व्यक्ति का शरीर भी स्वस्थ हो जाता है — उसकी गर्मी जाती रहती है।
मूढ़ वह है, जो शत्रु को मित्र बनाता है और मित्र से द्वेष करता है, उसे कष्ट भी पहुंचाता है तथा निरंतर निकृष्ट कर्म करता है।
एक होता है — विद्या का मद, दूसरा है धन का मद और तीसरा है — अपनी कुल परंपरा का मद। अभिमानियों के लिए ये मद हैं, जबकि सज्जनों के लिए ये ही दयनीय हैं।
क्षमाशील व्यक्तियों में एक ही दोष होता है — दूसरा नहीं और वह यह कि लोग समझते हैं कि वह अक्षम या अशक्त है।
धैर्य संपन्न लोग कष्ट पाकर विषाद का अनुभव नहीं करते। राहु के बदन में घुसकर क्या चंद्रमा पुन: उदित नहीं होता?
वृक्ष से पुष्प चुन लें — न कि उसे मूल से ही उखाड़ फेंकें — वैसे ही जैसे अरण्य में माली का व्यवहार होता है न कि आग लगाकर फूंक देने वाले का। –
जिस प्रकार चींटे धीरे-धीरे अपनी बांबी बनाते हैं उसी प्रकार मनुष्य को चाहिए कि वह शनै:-शनै धर्म का अर्जन करता रहे। बात यह है कि धर्म ही है जिसके द्वारा मानव दुर्गति से आत्मरक्षा करता है।
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