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जिंदगी के 10 कीमती सबक

ByVisheshank

Feb 28, 2017 , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,
Inspirational Motivational Positive Life Thoughts Quotes Hindi by Shahrukh Khan

आप लोगों से क्या बात करते हैं इससे अधिक महत्वपूर्ण है, आप कैसे बात करते हैं। उदाहरण के लिए, एक मैनेजर दफ्तर में आया और उसने अपने इंजीनियर से पूछा, – वह रिपोर्ट तैयार हुई?

अब मासूम से दिखने वाले इस सवाल के पीछे हजार बातें छिपी हो सकती हैं। क्योंकि संबंधों में जो संप्रेषण होता है उसमें से केवल आठ प्रतिशत शब्दों के द्वारा होता है और 92  प्रतिशत निःशब्द (बिना शब्द के) होता है।
च्च्वह रिपोर्ट तैयार हुई?  सिर्फ चार शब्द…लेकिन मैनेजर की आंखों में अवहेलना, माथे पर सलवटें, स्वर में अधैर्य, और इन दो व्यक्तियों के बीच पिछले दस सालों में घटे हुए सारे कड़वे अनुभव…यह सब इन चार शब्दों में भरा हुआ है, बारूद की तरह। इसलिये प्रश्न सुनते ही इंजीनियर नाराज हो जाता है। मैंनेजर सोचता है,  इतने में नाराज होने की क्या जरूरत? बड़ा क्रोधी है।
ठीक यही परिवार में भी होता है। बल्कि कहीं पर भी, मनुष्यों के बीच कोई संप्रेषण हो तो ये ही सारे चीजें काम करती हैं। निःशब्द में जो कहा जाता है, वह इतना विशाल और प्रभावशाली होता है कि उसके आगे शब्द कमजोर साबित होते हैं। लेकिन हर व्यक्ति सिर्फ शब्दों पर ही ध्यान देता है, निःशब्द या अनकहे शब्दों पर नहीं। इसलिये कलह बढ़ता है।
अगर कलह को शांति में बदलना हो तो कम्युनिकेशन सीखना होगा। दूसरे का ख्याल, भावदशा, मनःस्थिति के बारे में सहानुभूति, उसे सुनने की कोशिश ये सारे संप्रेषण के आधार स्तंभ हैं। अमेरिका के अलास्का प्रांत में एक विधि विकसित की गई है जिसे कहते हैं, सहृदय सुनना। यह औपचारिक सुनना नहीं है, बल्कि आप दिल खोलकर दूसरे को भीतर प्रवेश की इजाजत दे रहे हैं। दो दिलों में संघर्ष नहीं होता, दो दिमागों में होता है।

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