जिस प्रकार थोड़ी-सी वायु से आग भड़क उठती है, उसी प्रकार थोड़ी-सी मेहनत से किस्मत चमक उठती है।
– अज्ञात
ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए, जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा।
– विनोबा
विश्वास वह पक्षी है, जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।
– रवींद्रनाथ ठाकुर
कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।
– प्रेमचंद
मन में संतोष का होना स्वर्ग की प्राप्ति से बढ़कर है। संतोष ही सबसे बड़ा सुख है।
– महाभारत
संन्यास हृदय की एक दशा का नाम है, किसी ऊपरी नियम का वेशभूषा वगैरह का नहीं।
– श्रीमद्भगवतगीता
जो स्वयं संयमित है, नियंत्रित है, उसको व्यर्थ ही और अधिक नियंत्रित नहीं करना चाहिए, परंतु जो अभी अनियंत्रित है, उसी को नियंत्रित करना चाहिए।
– अथर्ववेद
इंद्रियों का विषयों के लिए विक्षिप्त होना, चंचल होना बंधन है और उनको संयम में रखना ही मोक्ष है।
– श्रीमद्भागवत गीता
जिसने स्वयं को वश में कर लिया है, संसार की कोई शक्ति उसकी विजय को पराजय में नहीं बदल सकती।
– महात्मा बुद्ध
संसार में रहो किंतु संसार के माया-मोह से निर्लिप्त रहो, जिस प्रकार कमल पंक में विकसित होते हैं, लेकिन उसके दल पंक के स्पर्श से परे निर्मल ही रहते हैं।
– स्वामी विवेकानंद
आज मैं किसी संत को पा जाने की आशा नहीं रखता, किंतु यदि मुझे कोई सज्जन भी मिले तो मैं बिल्कुल संतुष्ट हो जाऊंगा।
– कन्फ्यूशस
टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार,
रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।
– रहीम
तुम एकमात्र सत्य पर आरूढ़ होओ, इस बात से भयभीत मत होओ कि अधिकांश लोग तुम्हारे विरुद्ध हैं।
– स्वामी रामतीर्थ
यदि तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ सच्चाई का व्यवहार करें तो तुम स्वयं सच्चे बनो और दूसरे लोगों के साथ सच्चा व्यवहार करो।
– महर्षि अरविंद
परमेश्वर की दृष्टि में सदाचारी मनुष्य अत्यंत सम्मानीय समझा जाता है।
– कुरान शरीफ
जब तक दूसरों का कर्ज चुका नहीं दिया जाता, तब तक हम सदाचारी कभी नहीं कहला सकते और हमें स्वर्ग में प्रवेश नहीं मिल सकता।
– हजरत मुहम्मद
अपने बच्चों को सभ्यता सिखाना मन-भर अनाज दान करने से अधिक अच्छा है।
– हजरत मुहम्मद
आज की सभ्यता दु:शासन की तरह मन का चीरहरण करना चाहती है। अनुभव करने के पूर्व ही वह सयाना कर देती है।
– रवींद्रनाथ ठाकुर
सभ्यता की वास्तविक परीक्षा देश की जनगणना या नगरों की रूपरेखा अथवा फसल से नहीं होती, वरन किस प्रकार के इंसान राष्ट्र पैदा करता है, इससे होती है।
– इमर्सन
समभाव ही समस्त कल्याण का पाया है।
– स्वामी विवेकानंद
समता, सुख या ऐशो-आराम से नहीं, संयम से प्राप्त होती है।
– आचार्य विनोबा भावे
अच्छा सम्मान पाने की राह यह है कि जो तुम जैसा प्रतीत होने की कामना करते हो, वैसा बनने का प्रयत्न करो।
– सुकरात
डूबने वाले के प्रति सहानुभूति का मतलब उसके साथ डूबना नहीं है, बल्कि खुद तैरकर उसको बचाने का प्रयत्न करना है।
– विनोबा भावे
विवेक के साथ और अत्यंत विचारपूर्वक ढंग से लोगों को परमेश्वर की ओर बुलाओ।
– कुरान शरीफ
जो परधर्मावलंबियों से छल करता है, वह मुझे ही झलता है।
– हजरत मुहम्मद
उस पर भरोसा नहीं करो, जिसने तुम्हें एक बार धोखा दिया है। जिसने तुम्हें एक बार धोखा दिया, वह तुम्हें फिर धोखा देगा।
– शेक्सपियर
मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की जिम्मेदारी लेता है।
– चर्चिल
वही सच्चा हिम्मती है, जो कभी निराश नहीं होता।
– कन्फ्यूशस
जो आनंद देता है, उसी को मन ‘सुंदर’ कहता है और वही साहित्य की सामग्री है।
– रवींद्रनाथ ठाकुर
मैंने चमकीले नयन, सुंदर रूप, खूबसूरत चेहरा देखा, किंतु एक भी ऐसी आत्मा न मिली, जो मेरी आत्मा से बोलती।
– इमर्सन
सुखों के चले जाने पर ही हम उनका महत्व समझ पाते हैं, जब हम सुखी होते हैं,तब नहीं।
– अरस्तु
शोक-संताप पैदा करने वाले बहुत पुत्रों से वंश का क्या? संबल देने वाले एक ही पुत्र श्रेष्ठ है, जिससे वंश विश्राम पाता है।
– आचार्य चाणक्य
लोकसेवक न तो तारीफ की परवाह करता है, न निंदा से डरता है। जो तारीफ से फूल उठता है और निंदा से मुरझा जाता है, उससे सच्ची सेवा नहीं हो सकती। सेवक की सच्ची तारीफ उसकी अपनी सेवा ही है।
– महात्मा गांधी
संपूर्ण स्वर्ग अपने भीतर है, संपूर्ण सुख का स्रोत आपके भीतर है, ऐसी स्थिति में अन्यत्र आनंद को ढूंढऩा कितना अनुचित और असंगत है।
– स्वामी रामतीर्थ
स्वर्ग और पृथ्वी सब हमारे ही अंदर हैं, पर अपने अंदर के स्वर्ग से बिल्कुल अपरिचित हैं।
– महात्मा गांधी
परतंत्रता में सब कुछ दुख रूप है और स्वतंत्रता में सब कुछ सुखरूप है। यह संक्षेप में दुख-सुख का लक्षण जानना चाहिए।
– मनुस्मृति
जब मैं स्वयं पर हंसता हूं तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है।
– रवींद्रनाथ ठाकुर
हंसी की सुंदर पृष्ठभूमि पर यौवन के सुमन खिलते हैं। यौवन को तरोताजा रखने के लिए खूब हंसिए।
– जार्ज बर्नार्ड शॉ
जहां सिर्फ कायरता और हिंसा के बीच किसी एक के चुनाव की बात हो, वहां मैं हिंसा के पक्ष में राय दूंगा।
– महात्मा गांधी
यदि आपका हृदय ईमान से भरा है, तो एक शत्रु क्या, सारा संसार आपके सम्मुख हथियार डाल देगा। यही हृदय का उत्साह है, जिसने विकट हार को पूर्ण विजय में परिवर्तित कर दिया।
– स्वामी रामतीर्थ
अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं।
– जवाहरलाल नेहरू
सच्चाई से जिसका मन भरा है, वह विद्वान न होने पर भी बहुत देश सेवा कर सकता है।
– पं. मोतीलाल नेहरू
स्वतंत्र वही हो सकता है, जो अपना काम अपने आप कर लेता है।
– विनोबा
दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है।
– डॉ. रामकुमार वर्मा
डूबते को तारना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है।
– अज्ञात
सबसे अधिक ज्ञानी वही है, जो अपनी कमियों को समझकर उनका सुधार कर सकता हो।
– अज्ञात
अनुभव-प्राप्ति के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है, पर उससे जो शिक्षा मिलती है, वह और कहीं नहीं मिलती।
– अज्ञात
जिसने अकेले रहकर अकेलेपन को जीता, उसने सब कुछ जीता।
– अज्ञात
अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है, पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का।
– पुरानी कहावत
जो पुरुषार्थ नहीं करते, उन्हें धन, मित्र, ऐश्वर्य, सुख, स्वास्थ्य, शांति और संतोष प्राप्त नहीं होता।
– वेदव्यास
नियम के बिना और अभिमान के साथ किया गया तप व्यर्थ ही होता है।
– वेदव्यास
जैसे सूर्योदय के होते ही अंधकार दूर हो जाता है, वैसे ही मन की प्रसन्नता से सारी बाधाएं शांत हो जाती हैं।
– अमृतलाल नागर
जैसे उल्लू को सूर्य नहीं दिखाई देता, वैसे ही दुष्ट को सौजन्य दिखाई नहीं देता।
– स्वामी भजनानंद
लोहा गरम भले ही हो जाए, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम कर सकता है।
– सरदार पटेल
फूल चुनकर एकत्र करने के लिए मत ठहरो। आगे बढ़े चलो, तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे।
– रवींद्रनाथ ठाकुर
जिस मनुष्य में आत्मविश्वास नहीं है, वह शक्तिमान होकर भी कायर है और पंडित होकर भी मूर्ख है।
– रामप्रताप त्रिपाठी
मन एक भीरु शत्रु है, जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है।
– प्रेमचंद
असत्य फूस के ढेर की तरह है। सत्य की एक चिनगारी भी उसे भस्म कर देती है।
– हरिभाऊ उपाध्याय
समय परिवर्तन का धन है, परंतु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं।
– रवींद्रनाथ ठाकुर
संतोष का वृक्ष कड़वा है, लेकिन इस पर लगने वाला फल मीठा होता है।
– स्वामी शिवानंद
विचारकों को जो चीज आज स्पष्ट दिखती है, दुनिया उस पर कल अमल करती है।
– विनोबा
हजार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है, वही सच्चा विजयी है।
– गौतम बुद्ध
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