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Emotional Stress Causes Symptoms Diagnosis Treatment

Emotional Stress Causes Symptoms Diagnosis Treatment are important to understand. In today’s lifestyle everybody is going berserk with day to day problems so this makes sense to understand. 

इमोशनल स्ट्रेस – जल्दी रिकवरी के लिए क्या करें?
इमोशनल स्ट्रेस से बढ़ रहा है फेशियल पैरालिसिस

फेशियल

रेगुलर एक्सरसाइज से रिकवरी जल्दी
फेशियलपैरालिसिस का संबंध फेशियल नर्व से होता है। यदि नर्व में सूजन आने से पैरालिसिस हो रहा है तो इसका असर चेहरे तक ही रहता है। ब्रेन की माइनर आर्टरी में ब्लॉकेज आने पर चेहरे के साथ-साथ हाथ और पैरों पर भी पैरालिसिस का असर देखने को मिलता है।
हरपीज के इंफेक्शन की वजह से कान के आस-पास दाने निकल आते हैं। हरपीज की वजह से यह बीमारी डायग्नोस होने पर एंटीवायरल ड्रग्स दी जाती है। ताकि इंफ्लेमेशन कम हो पाए। चेहरे की रेगुलर एक्सरसाइज करने से रिकवरी जल्दी होती है।

चेहरे की मसल्स को मजबूत बनाने में मददगार फिजियोथैरेपी

फेशियल पैरालिसिस में फिजियोथैरेपी के जरिए उन मसल्स को मजबूत बनाया जाता है। पैरालिसिस की वजह से कमजोर हो चुकी है। पेशेंट को फेशियल पीएनएफ टेक्निक के जरिए एनर्जी ट्रांसफर की जाती है। फिजियोथैरेपिस्ट अक्षत माथुर ने बताया कि मसल्स स्टीमुलेटर के जरिए मसल्स प्वांइट की एक्सरसाइज करवाते हैं।
ताकि मसल्स एक्टिव हो पाएं। पेशेंट्स की आईब्रो ऊपर की तरफ खिंचवाई जाती है। इस एक्सरसाइज से वो आईब्रो ही खींच पाती है जिसमें पैरालिसिस का असर नहीं है।

इस आईब्रो को खींचने पर इसकी एनर्जी पैरालिसिस वाली आईब्रो में ट्रांसफर होती है। मुंह में पानी भरवाकर एक्सरसाइज करवाई जाती है। इसमें न्यूरोमस्कुलर स्टीयुमेलशन दिया जाता है। ताकि ब्रेन की नसों को एक्टिव किया जा सके।

नर्व ग्राफ्टिंग से इलाज संभव–
डायबिटिक पेशेंट्स और प्रेग्नेंसी में यह पैरालिसिस देखने को मिलता है। वायरल इंफेक्शन के अलावा फेशियल नर्व कटने से भी पैरालिसिस हो जाता है। इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिकल टैस्ट के जरिए नर्व में कितनी खराबी है। इसकी जांच की जाती है। यह ठीक हो रही है या नहीं। ऑपरेशन की जरूरत है या नहीं।

पैरालिसिस होने पर एक सप्ताह में स्टीराॅयड थैरेपी शुरू कर देनी चाहिए। एंटी इन्फ्लामेंटरी दवाइयां दी जाती हैं। इन दवाइयों से रिकवरी टाइम और लकवे से होने वाली कॉम्पिलेकेशन भी कम हो जाती हैं। फेशियल नस कटने पर आपस में जोड़ते हैं। सर्जरी के दौरान नर्व ग्राफ्ट लगाया जाता है।

या दूसरी नसों से जोड़ा जा सकता है। नसों पर दबाव पड़ने से सूजन बढ़ने पर फूल जाती हैं। ऐसे में, डी कम्प्रेशन करके नसों पर से दबाव हटाकर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाया जाता है। ताकि सूजन कम करके ठीक किया जा सके।
90.1 परसेंट पेशेंट्स पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। बाकी में रिकवरी कम रहती है।

पैरालिसिस यानी चेहरे का लकवा। चेहरे की नसों में खराबी आने पर मसल्स कमजोर हो जाती हैं या पूरी तरह काम करना बंद कर देती है। इससे मसल्स पैरालाइज होने से चेहरे पर लकवा जाता है। पेशेंट्स को बोलने, खाने और पीने में दिक्क्त होती है। समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलने से मासपेशियों की एट्रॉफी (मासपेशियां कमजोर होकर पतली हो जाती हैं) हालांकि फेशियल पैरालिसिस का एक मुख्य कारण बैल्स पाल्सी भी है। 
इस इडियोपैथिक बीमारी में फेशियल नर्व यानी सातवीं कार्नियल नर्व में इंजरी होने से यह पैरालिसिस होता है। 50 फीसदी लोग बहुत ही कम समय में ठीक हो जाते हैं।

पैंतीस परसेंट लोगों को ठीक होने में एक साल का समय लगता है। डायबिटिक पेशेंट्स और प्रेग्नेंसी में यह ज्यादा देखने को मिलता है कई केसों में यह हरपीज या एप्सटीन यानी बार वायरस की वजह से होती है। वास्कुलर ट्रॉमा या इश्चिमंया। ठंड या इमोशनल स्ट्रेस से नर्व में सूजन अाने से ब्लड सर्कुलेशन कम होने पर फेशियल पैरालिसिस होता है।

कारण:
हरपीज इंफेक्शन, डायबिटीज, कान और ब्रेन का कैंसर, कान का इंफेक्शन, एक्सीडेंट की चोट, कान की हड्डी यानी टैम्पोरल बोन का फ्रैक्चर, हाइपोथायराइड, एड्स, पैराटिड ग्रंथि का ट्यूमर, ब्रेन एब्सेस, स्ट्रोक और हैमरेज।

लक्षण:
सुबह उठते ही कांच में चेहरा देखने पर आंख बंद नहीं हो रही है। चेहरे का टेढ़ा होना। बैल्स पाल्सी के कारण चेहरे के एक तरफ लकवा आता है। चेहरा काम करना बंद कर देता है। मुंह एक तरफ से होठों के पास से टेढ़ा हो जाता है। मुंह से लार टपकने के साथ-साथ गाल और होठ काम करना बंद कर देते हैं। आंखों से पानी आता रहता है। दूसरे कारण से पूरे चेहरे पर लकवा आता है।

कौनसे टेस्ट से करते हैं डायग्नोस

खून की जांच, इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिकल, टोपो डायग्नोस्टिक।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑटोलेरेंजोलॉजी के मुताबिक बैल्स पाल्सी से होने वाला पैरालिसिस ओरल स्टीरॉयड़, एंटीवायरल दवाइयों से जल्दी ठीक होता है।

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