आलौकिक महासंग्रह Alaukik MahaSangrah | चालीसा, आरती, 108 नाम, मंत्र, स्तोत्र (आध्यात्म की भव्य अनुभूति) Aarti in Hindi | Chalisa in Hindi | Aarti Sangrah Mantra in Hindi | Strota in Hindi | Aarti Sangrah in Hindi | Devotional Lyrics Book in Hindi |
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प्रिय मित्र , कहा जाता है कि शब्द ब्रह्म है. और शब्दों को जब हम चालीसा, आरती, मंत्र अथवा स्त्रोत के माध्यम से ईश्वर को अर्पित करते हैं तो, इस का सीधा प्रभाव हम अपने जीवन में महसूस करते हैं. चालीसा, आरती, भगवन नाम या फिर मन्त्रों का उच्चारण जब मन में उमंग भर कर ईश्वर के समक्ष हो कर करते हैं तो मानो साक्षात ईश्वर को ही पा लेते हैं उस वक़्त शरीर महसूस नहीं होता, उस वक़्त आत्मा और मन ही महसूस होता है, अनुभव होता है ईश्वर के समक्ष हो कर आमने सामने बात करने का ईश्वर और भक्त के बीच बातचीत या संवाद का माध्यम है चालीसा, आरती, भगवन नाम या फिर मन्त्रों का उच्चारण| आप विभिन्न देवी-देवताओं की आरती का पाठ कर सकते हैं। आरती जिसे सुनकर, आप धन्य हो जायेंगे।
आपके आराध्य कोई भी हों, किसी भी देवी-देवता ईष्ट देव की स्तुति या उपासना करें, ये इसकी सर्वश्रेष्ठ विधि है। आरती के दौरान आपको धूप दीप एवं अन्य सुगंधित पदार्थों से एक विशेष विधि से अपने इष्ट आराध्य के सामने घुमाना हैं। सुबह उठते ही सबसे पहले आराध्य देव के सामने उनकी पूजा-आरती की जाती है। ये ही क्रम शाम को भी दोहराया जाता है व मंदिर के कपाट रात्रि में ईश्वर को विश्राम कराने से पहले आरती कराई जाती है और उसी के बाद ही कपाट बंद किये जाते हैं। मान्यता है कि आरती करने वाले ही नहीं बल्कि आरती को सुनने वाले और आरती में शामिल होने वाले पर भी ईश्वर की कृपा बरसती है। मंदिरों में तो पूरे विधि विधान के साथ आरती की जाती है। आरती करते समय भक्त का मन स्वच्छ होना चाहिये अर्थात उसे पूरे समर्पण के साथ आरती करनी चाहिये तभी उसे अपने इष्ट के समक्ष आरती करने का पुण्य प्राप्त होता है। आरती की एक सर्वश्रेष्ठ विधि मानी जाती है, जिसमे कि भक्त अपने मन आत्मा से ईश्वर को पुकारते हैं इसलिये इसे पंचारती भी कहते है। इसमें भक्त के शरीर के पांचों भाग मस्तिष्क, हृदय , कंधे, हाथ व घुटने यानि साष्टांग होकर आरती करता है | इस आरती को पंच-प्राणों की प्रतीक आरती माना जाता है। किसी भी भक्त के लिए ईश्वर से निकटता पाने का सबसे सरल जरिया है आरती, आध्यात्मिक जगत में उन्नति चाहिए तो शुद्ध मन से एकाकार हो कर भगवान् के समक्ष आरती करें तो आपके मन मस्तिष्क को जो आनंद और उल्लास का अनुभव होगा, वो शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता , लेकिन आरती के माध्यम से हम आप ईश्वर के समक्ष हो कर उसे प्रार्थना करते हैं, उससे जुड़ाव महसूस करते हैं| आरती माध्यम है ईश्वर से जुड़ाव का, सानिध्य का |
इस पुस्तक को मैंने आलौकिक महा संग्रह के नाम से जारी किया है आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है की ईश्वर को पाने में ये आपकी सहायक होगी इस पुस्तिका में विशेष तौर पर अधिक से अधिक देवी देवताओं की आरतियां, चालीसा, मंत्र और स्त्रोत को शामिल किया है, सभी भक्त जनों के लिए ये निश्चित रूप से एक ऐसा संकलन है, जिसे वे लाभान्वित होंगे और उन्हें भौतिक और आध्यात्मिक जगत में उन्नति प्राप्त होगी| मैं अपनी यह पुस्तक स्वर्गीय श्री परमानंद गाबा (दादाजी), स्वर्गीय शान्ति देवी (दादी जी), स्वर्गीय श्रीमती अनुराधा रानी अरोड़ा (माता जी), एवं अपने पिताजी स्वर्गीय श्री निरंजन दास अरोड़ा एवं स्वर्गीय शैलेंद्र शंकर अरोड़ा(बड़े भाई) को समर्पित करता हूं। इन सब की बदौलत ही मैं जो कुछ भी कर पा रहा हूं, वह कर पा रहा हूं। ये सभी मेरी जिंदगी का एक अटूट हिस्सा हैं और मेरे प्रेरणास्रोत हैं। आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभकामनाएं, राघव अरोड़ा
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