बेहतर लाइफ के लिए ये लेसंस जरूर सीखें आप-
आप बच्चे हैं, इसका ये मतलब नहीं कि पेरेंट्स ही आपके लिए सब कुछ करेंगे। आप जीवन में कुछ करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं तो ये चीजें जरूर सीखें और खुद करने की कोशिश करें। ये ही वे बातें हैं जो आपके जीवन की नींव रखेंगी और आपको एक बेहतर इंसान बनाएंगी।
सीखें लोगों के जीवन में कैसे योगदान दें-
लोगों को खुश रखने के लिए, उनकी िजन्दगी को बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान जरूर दें। जरूरी नहीं कि इस योगदान के लिए अपने पास पैसे हों। आप अपनी स्किल्स, अपने टैलेंट के जरिए भी लोगों की िजन्दगी में खुशियों के रंग घोल सकते हैं। ये आदत या कहें कि आपको ये सीख कुछ देने का गुण विकसित करेगी। किसी को कुछ देकर आपको केवल खुशी ही नहीं मिलेगी बल्कि आपने मानवीय मूल्यों का विकास भी होगा।
मनमुटाव निपटाना-
एक पल के लिए मान लें कि आपका आपके किसी दोस्त से झगड़ा हो गया है। इस झगड़े के बाद आपने रोकर या चिल्लाकर या अपने पेरेंट्स की दखलंदाजी से खुद को इनोसेंट साबित कर दिया है, लेकिन आप खुद ही सोचें कि जब आप 17-18 साल के हो जाएंगेे तब भी आपका ये बेहेवियर काम कर पाएगा? नहीं ना? तो शुरुआती दौर से ही विवाद की स्थिति से निपटना सीखें। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना सीखें और सही-गलत में अंतर करना भी। अगर आपका मन आपको कह रहा है कि आप गलत हैं, तो सिर्फ सही होने के लिए विवाद को न बढ़ाएं।
समस्याएं सुलझाना-
जब आप पहले बताई दो बातें सीख जाते हैं तो आप धीरे-धीरे ही सही, ये भी सीख जाते हैं कि परेशानियों का सामना कैसे किया जाए। उदहारण के लिए आप और आपका भाई या बहन किसी खिलौने से खेलने के लिए लड़ रहे हैं। आपकी लड़ाई इतनी बढ़ गई कि बात मारा-कुटी तक पहुंच गई। अब आपके पास दो ही विकल्प बचते हैं। पहला यह कि आप अपने पेरेंट्स या किसी बड़े को अपने झगड़े के बीच में लाएं या दूसरा विकल्प ये कि आप समस्या को अपने स्तर पर खुद ही सुलझा लें। आप समस्या को खिलौनेे से खेलने का समय निर्धारित करके सुलझा सकते सकते हैं।
अपने बारे में सोचना-
अपने दिल, दिमाग और ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं और उसकी सुनें। खुद के बारे में सोचने से मतलब खुद सामर्थ्य और कमजोरियों को जानने और समझने से है। कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने दिमाग और स्व-विवेक को इतना विकसित करें कि आप खुद ये समझ पाएं कि उस निर्णय का आपके जीवन पर क्या असर होगा। जरूरी नहीं कि हर बार निर्णय लेने के लिए आपके साथ आपके पेरेंट्स मौजूद हों। जीवन के कई महत्वपूर्ण निर्णय बच्चों को स्वयं लेने होते हैं और शुरुआती दौर से स्वयं में ये गुण विकसित करें। उदहारण के लिए आप कौनसी शर्ट पहनेंगे, सेल्फ-स्टडी में कौन से विषय की पढ़ाई करेंगे।
जिम्मेदारी लेना-
अगर अापने कोई भी निर्णय लिया है तो सकारात्मक या नकारात्मक, जो भी हो, परिणाम के लिए तैयार रहें। उदहारण के लिए आप ठंड के मौसम में कहीं बाहर जा रहे हैं। आपकी मम्मी आपको बार-बार स्वेटर पहनने का कह रही हैं, लेकिन आप उनकी सलाह को नज़रअंदाज करके बिना स्वेटर पहने बाहर गए। अब आपको ठंड लगे या आपको सर्दी हो, इसके लिए जिम्मेदारी स्वयं लें। इस स्थिति के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। अपनी गलतियों से सीखें और ये गलतियां दोबारा न हो, ऐसे प्रयास करें।
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