5 सिद्धांत- अच्छी Communication Skills डेवेलप करने के I
15 Principals to Improve Communication Skills. You need to learn these things for a better future. It is imperative to learn Communication Skills.
एक्सप्रेशन लहजे में उतार-चढ़ाव से बात बनती-बिगड़ती है और अर्थ बदल लेती है
कई बार किसी की बहुत महत्वपूर्ण बात भी अनसुनी कर दी जाती है। ऐसा लहजे और बोलने के तरीके के कारण भी हो सकता है। लहजे में उतार-चढ़ाव से बात बनती-बिगड़ती है और उसके अर्थ भी बदल जाते हैं।
प लोअर टोन आवाज को अधिक प्रभावशाली और आत्मविश्वास से भरा माना जाता है। अनुसंधानों के अनुसार लीडर्स की आवाज गहरी होती है। ऐसी आवाज याद रखना आसान होता है। अभ्यास से आवाज को ऐसा बनाया जा सकता है। अपने साथियों या बॉस के प्रति आप क्या सोचते हैं इसका आभास आवाज में मिल जाता है। जब आप किसी से बात करते हैं और मुस्कुराते हैं तो यह भी आपकी आवाज में भी जाहिर होता है। ऐसे सकारात्मक तरीके से बात करने वालों के प्रति लोग ज्यादा आकर्षित होते हैं। हंसते हुए बात करने से आवाज की क्वालिटी बदल जाती है। इसमें अधिक मित्रता और जोश का भाव जाता है। इससे बात रोचक बनती है। लोअर-हाई पिच बदलावों से बात इंगेजिंग बन जाती है, जो सुनने वाले को प्रभावित करती है।
प जो लोग धीमे बोलते हैं उन्हें कम पावरफुल माना जाता है। फास्ट स्पीड में बोलने वाले अधिक एनर्जिटिक माने जाते हैं। इसलिए अगर कहीं एक्साइटमेंट और ऊर्जा जाहिर करनी हो तो इसका उपयोग किया जा सकता है। सही जगह पर पॉज लेना भी महत्वपूर्ण होता है। इससे बात को अधिक प्रभावशाली तरीके से पेश किया जा सकता है। जैसे किसी स्टेटमेंट का इस्तेमाल करने से पहले पॉज लेना बेहतर होता है।
प गहरी सांस लेने की आदत बनाई जा सकती है। इससे आवाज में गैरजरूरी बेचैनी जाहिर नहीं होती। गहरी सांस लेने से वोकल कॉड रिलैक्स रहता है और टोन शांत और स्थिर बनी रहती है। कई बार लोग लो पिच में बोलना शुरू करते हैं और हाई की ओर बढ़ते जाते हैं। इस तरीके में सुनने वाले को बात पर भरोसा होने की संभावना कम हो जाती है। इसके उलट अगर हाई पिच से बोलना शुरू करें और लो पर खत्म करें तो इससे सुनने वाले का भरोसा बढ़ता है।
कुछ रिसर्च में यह बात सामने आई है कि उन लोगों पर भरोसा नहीं किया जाता जो अपने स्वाभाविक उच्चारण से अलग शब्दों को बोलना पसंद करते हैं। अगर नेगैटिव टंग बदलना ही चाहते हैं तो यह काफी सजगता से करना चाहिए कि कहीं इसमें नाटकीयता ना अ। जाए।