मैं ही क्यों : Mein hi Kyon
टूटे दिल को कैसे ठीक करें | टूटे दिल को ठीक करने के लिए सबक़ – उद्धरण | हार्टब्रेक से कैसे उबरें | ब्रेकअप को कैसे हैंडल करें |
प्रिय मित्र,
कोई भी दिल टूटने के दर्द का अनुभव नहीं करना चाहता।
लेकिन अगर आपने कभी प्यार किया है, तो सच में, प्यार में — आप पहले से ही जानते हो कि आपके पास बात का कोई रास्ता नहीं है। आपके सामने लाखों लोग दिल टूटने के दर्दनाक अनुभव से गुज़र चुके हैं और उसके बाद और बेहतर, और समझदार व मजबूत बनकर उभरे हैं।
यदि आप अपने पैरों पर वापस मजबूती से खड़े होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और ब्रेकअप के बाद अपनी जिंदगी को पुनः वापिस लाने की कोशिश में हैं, तो यह पुस्तक आपको खुद को फिर से एक मजबूत, समझदार व्यक्ति के रूप में खड़े होने में और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करते हुए आगे बढ़ने का रास्ता प्रदान करेगी। बुद्धि और ईमानदारी के साथ, मैंने अपने स्वयं के अनुभवों को यह दिखाने के लिए साझा किया कि मैंने एक कठिन ब्रेकअप के बाद कई लोगों में आत्मविश्वास की कमी होते हुए देखा है।
उनमे अनेक बेहतरीन योग्यताएं होते हुए भी खुद से ही ये सवाल करना कि मुझमे आखिर क्या कमी है? इस जटिल समस्या का सामना करते हुए देखा है । इस पुस्तक में ऐसे अनमोल विचार (कोट्स) का संकलन किया गया है, जो कि मैंने व्यावहारिक रूप से सीखे हैं, अनुभव किये हैं।
अनेक ऐसे लोग, जिनके साथ भी ऐसा कड़वा अनुभव हुआ है, उनकी मानसिक स्थिति को उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से बदलाव ला कर अपनी जिंदगी में नए सिरे से शुरुआत की है।
ये अनमोल विचार ऐसे हैं जो आपके जीवन के साथ,आगे बढ़ने के सरल और प्रभावी तरीके प्रदान करते हैं। समय और सही सकारात्मक नजरिये के साथ, आपका दिल ठीक हो जाएगा और आप नई ताकत और ज्ञान के साथ दुनिया का सामना करने के लिए तैयार होंगे।
ये पुस्तक उन हजारों, शायद लाखों लोगों की मदद कर रही है, जो अपने जीवन, अपनी राह, अपनी आत्मा को खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे वक़्त में, जब ऐसा लगता है, कि सब कुछ हमेशा के लिए खो गया है।
ब्रेकअप के बेहद मुश्किल समय के दौरान, आपको जिंदगी में फिर से टूटे दिल के साथ आगे बढ़ने में ये अनमोल विचार (कोट्स) आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं! इस तरह के उद्धरण यानि कोट्स आपको हर बात के लिए इनकार, खुद से बार बार ये सवाल करना की आखिर मैं ही क्यों ? क्रोध व अवसाद को दूर करने में मदद करेंगे, जो दिल टूटने के साथ अमूमन आते हैं।
मैं ही क्यों : Mein hi Kyon
यदि किसी भी पाठक की जिंदगी में इस के जरिये, एक बेहतर बदलाव आये, तो में अपनी ये कोशिश कामयाब मानूंगा.
मैं अपनी यह पुस्तक स्वर्गीय श्री परमानंद गाबा (दादाजी), स्वर्गीय शान्ति देवी (दादी जी), स्वर्गीय श्रीमती अनुराधा रानी अरोड़ा (माता जी), स्वर्गीय शैलेंद्र शंकर अरोड़ा(बड़े भाई) एवं अपने पिताजी स्वर्गीय श्री निरंजन दास अरोड़ा को समर्पित करता हूं। इन सब की बदौलत ही मैं जो कुछ भी कर पा रहा हूं, वह कर पा रहा हूं। ये सभी मेरी जिंदगी का एक अटूट हिस्सा हैं और मेरे प्रेरणास्रोत हैं।
आपने इस पुस्तक को पढ़ते के लिए चुना, इसके लिए तहे दिल के आपका आभार और शुक्रिया |
रघुवेंद्र रमण अरोड़ा
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Mein hi Kyon
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