एक ताजा सर्वेक्षण से यह निष्कर्ष निकला है कि सभी सोशल साइट्स हम पर एक सा असर नहीं करते। यहां कुछ को मानसिक सेहत के लिए बेहतर तो कुछ को काफी खतरनाक बताया गया है। अच्छे माध्यमों में वीडियो शेयरिंग व खतरनाक में फोटोशेयरिंग प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं।
यू ट्यूब को नौजवानों की मानसिक सेहत के लिहाज से बेहतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आंका गया है।
इस सर्वे के नतीजों को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कुछ कदम उठाने की अपील की है…
1. जब लोग लंबे समय तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें तो एक चेतावनी वाला पॉप-अप आ जाए। सर्वे में 70 फीसदी लोगों ने इसका समर्थन भी किया है।
2. मानसिक सेहत से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे यूजर्स को पहचाना जाए और उन्हें उन जगहों के बारे में बताया जाए जहां उन्हें मदद मिल सकती है।
3. जब तस्वीरों को डिजिटल तरीकों से छेड़ा गया है, मसलन फैशन ब्रैंड, विज्ञापन या हस्तियों की तस्वीरों को, तो उन पर एक छोटा आइकन बना हुआ आ जाए, जिससे छेड़छाड़ वाली तस्वीरों की पहचान हो जाए।
सकारात्मक या नकारात्मक इस्तेमाल हम पर निर्भर
सर्वेक्षण में शामिल 22 वर्षीय आइला बताती हैं कि मैं किशोरावस्था में सोशल मीडिया पर आईं थी। ऑनलाइन कम्युनिटी ने मुझे महसूस कराया कि मैं उनमें शामिल हूं और मेरी कोई कीमत है। मैंने असल जिंदगी के दोस्तों की अनदेखी शुरू कर दी और सारा वक्त ऑनलाइन दोस्तों से बात करने में बिताने लगी। ऐसे में 16 साल की उम्र में मैं गहरे डिप्रेशन में चली गई थी। यह सब छह महीने तक चला और काफी भयावह था। इस दौरान सोशल मीडिया ने मुझे बहुत बुरा महसूस कराया। क्योंकि मैं और लोगों से अपनी तुलना करके बुरा महसूस करती रहती थी। इसके बाद 19 वर्ष की आयु में ऐसे दोबारा हुआ। मैं सोशल मीडिया पर दोस्तों को तरह-तरह की चीजें करते देखती और उन्हें देखकर जेलसी महसूस करती थी। हालांकि बाद में मैं मानसिक सेहत के बारे में ब्लॉग लिख पर पोस्ट करने लगी और इसी सोशल मीडिया का सकारात्म पहलू मेरे सामने आया। यानी इसका सकारात्मक या नकारात्मक इस्तेमाल हमारे हाथ में ही हैं।
एक ताजा सर्वेक्षण से यह निष्कर्ष निकला है कि सभी सोशल साइट्स हम पर एक सा असर नहीं करते। यहां कुछ को मानसिक सेहत के लिए बेहतर तो कुछ को काफी खतरनाक बताया गया है। अच्छे माध्यमों में वीडियो शेयरिंग व खतरनाक में फोटोशेयरिंग प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं।
यू ट्यूब को नौजवानों की मानसिक सेहत के लिहाज से बेहतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आंका गया है।
यूट्यूब को मिले ज्यादा अंक-
इस ऑनलाइन सर्वे में लोगों से फेसबुक, ट्विटर यूट्यूब, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट का मानसिक सेहत पर असर पूछा गया था। लोगों को सेहत से जुड़े 14 सवालों के आधार पर हर प्लेटफॉर्म को स्कोर देना था। इस आधार पर यूट्यूब को सबसे ज्यादा सकारात्मक असर वाला माना गया, जिसके बाद ट्विटर और फिर फेसबुक रहा। संस्था से जुड़ी शर्ले क्रेमर कहती हैं कि यह दिलचस्प है कि इंस्टाग्राम और स्नैपचैट को खराब आंका गया। दोनों ही फोटो शेयरिंग फ्लेटफॉर्म हैं और हो सकता है कि वे नौजवानों में बेचैनी बढ़ा रहे हों।
90 फीसदी नौजवान सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए खतरा नौजवानों पर ही ज्यादा होता है।