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Inspiring- Mothers-Day-Short-Stories आई लव यू मॉम Improve relations, Inspiring- Mothers-Day-Short-Stories आई लव यू मॉमवह उदास होती तो माँ कहती,मुस्कराओ,वह इंट्रोवर्ट रहना चाहती तो मां कहती एक्सट्रोवर्ट बनो. वह सॉफ्ट म्यूजिक सुनना चाहती पर माँ कहती रॉक म्यूजिक सुनो,वह क्लासिक डांस सीखना चाहती,मां कहती कि शोरगुल वाली मस्ती करो, वह लाइट कलर्स पहनना चाहती,माँ कहती ब्राइट कलर्स पहनो; वह एक दोगली जिंदगी जी रही है, घुट रही है क्योंकि उसे एक वाक्य रटा दिया गया है ‘आई लव मॉम’ सब कुछ विचारों की धारा के विपरीत जा रहा है, पर सब करना पड़ता है,क्योंकि घर में माँ ही डोमिनेट करती हैं.

सायरा की शादी तय करने वाले हैं,सायरा बहुत उदास है, सायरा से नज़ाकत ने पूछा कि तू उदास क्यों है?सायरा ने कहा ,’जैसा मेरी नानी ने किया,वही मेरी माँ कर रही है, नानी ने मां को अपने इशारों पर चलाया और माँ मुझे अपने इशारों पर चला रही है, नानी ने मेरी माँ के घर में झगडे करवाए और उन्हें कभी प्यार से रहने नहीं दिया और मुझे डर है कि मेरी शादी के बाद मेरी माँ मेरे घर में ऐसे ही झगडे करवाने न आ जाये कहीं. नानी ने नाना से झगडे किये, अपने बेटे बेटी के घर में झगडे करवाए और फिर माँ के पास आकर रहने लगी और उसकी शादीशुदा जिंदगी में कभी प्यार पनपने नहीं दिया, मुझे डर है कि मेरी शादी के बाद माँ नानी की तरह झगडे करवाने न आ जाये, मुझे माँ को अपने साथ नहीं रखना. सायरा और नज़ाकत की बात खिड़की के पास खड़ी माँ ने सुन ली थीं साथ ही उसकी दिमाग की खिड़की भी खुल गई थी. सायरा की माँ ने बेटी से आकर कहा,’मेरी बच्ची मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ , पर शायद मेरे प्यार करने का तरीका गलत था. तुम अपनी जिंदगी अपने तरीके से जियो. मुझे कोई हक नहीं हैं कि तुम्हे मैं मेरे तरीके से ज़िन्दगी जीने के लिए मज़बूर करूँ.मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में कभी कोई दखल नहीं दूंगी.पर हाँ जब तुम्हे जरूरत हो तब मैं जरूर तुम्हारी मदद के लिए आ जाऊँगी. सायरा ने कहा,आई लव यू मॉम’ सायरा की माँ ने कहा,’मैं जानती हूँ तो पापा से ज्यादा प्यार करती है, आज से यह झूठ बोलने वाली जिंदगी भी छोड़ दे, और वही कह और वही कर जो तू करना चाहती है, कहना चाहती है’. सायरा मां के गले लग गयी, दोनों की आंखों मे आंसूं हैं पर अब यह दुःख और तनाव के नहीं प्यार और मधुरता के एहसास के हैं. सायरा को यकीं है उसकी मैरिड लाइफ सुखद होगी और ऐसा हुआ भी.

आप भी सोचिये कहीं आप अपने बच्चे की परवरिश के दौरान अपनी ख्वाहिशें इस हद तक तो थोप नहीं देते कि उसे लगने लगे कि वह दोगली ज़िन्दगी जी रहा है. अगर ऐसा है तो उसे अपने हिस्से की बात कहने सुनने दीजिये, चाहे उससे आपके अहंकार को चोट ही क्यों न पहुंचती हो. सच तो सच ही है, उसे जितनी जल्दी स्वीकार कर लीजिये बेहतर है, जितनी देर से स्वीकार करेंगे,उतने ही आपके परिवार के सदस्य घुटते रहेंगे. निर्णय आपका है कि आपके लिए आपका अहंकार बड़ा है या अपने परिवार के सदस्यों के अरमान.

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