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Anmol Vachan Suvichar in Hindi
  • Best Inspirational Motivational Anmol Vachan Suvichar in Hindi
    संसार में प्राय: सभी जन सुखी एवं धनशाली मनुष्यों के शुभेच्छु हुआ करते हैं। विपत्ति में पड़े मनुष्यों के प्रियकारी दुर्लभ होते हैं।
    – मृच्छकटिकम्
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    मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुख होते हैं — एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई।
    – बर्नार्ड शॉ
  • Anmol Vachan Suvichar in Hindi

    मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक भी पाई न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही है।
    – पुरुषोत्तम दास टंडन

    तपाया और जलाया हुआ लौहपिंड एक-दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दुख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं।
    – लहरीवजक

    चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज्यादा सुखी है, जिसके घर में शांति होती है।
    – गेटे

    मानव में जो कुछ सर्वोत्तम है, उसका विकास प्रशंसा तथा प्रोत्साहन से किया जा सकता है।
    – चाल्र्स शेव

    आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं। यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है।

    – सेनेका

    मानव प्रकृति में सबसे गहरा नियम प्रशंसा प्राप्त करने की लालसा है।
    – विलियम जेम्स

    चापलूसी करना सरल है, प्रशंसा करना कठिन।
    – अज्ञात

    हमारे साथ प्राय: समस्या यही होती है कि हम झूठी प्रशंसा से बर्बाद हो जाना पसंद करते हैं, परंतु वास्तविक आलोचना द्वारा संभल जाना नहीं।
    – नार्मन विंसेट पील

    धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल अच्छी है।
    – माघकाव्य





    इतिहास साक्षी है कि किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित नहीं किया जाता। समाज तो उसी का सम्मान करता है, जिससे उसे कुछ प्राप्त होता है।

    – केल्विन कुलिज


    अपमानपूर्वक अमृत पीने से अच्छा है, सम्मानपूर्वक विषपान।
    – रहीम

    अपमान और दवा की गोलियां निगल जाने के लिए होती हैं, मुंह में रखकर चूसते रहने के लिए नहीं।
    – वक्रमुख

    गाली सह लेने के असली मायने हैं — गाली देने वाले के वश में न होना, गाली देने वाले को असफल बना देना। यह नहीं कि जैसा वह कहे, वैसा कहना।
    – महात्मा गांधी
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  • जिसे अपने में विश्वास नहीं, उसे भगवान में विश्वास नहीं हो सकता।
    – स्वामी विवेकानंद
  • मारने में वीरता नहीं पशुता है, किंतु जिसमें स्वयं मरने की शक्ति है, वही वीर है। त्याग का आदर्श महान है और वही जगत में कुछ कर सकता है, जिसमें त्याग की मात्रा अधिक हो।
    – महावीर स्वामी
  • ऐसा व्यवहार दूसरों के साथ न करें, जो स्वयं के लिए प्रतिकूल है।
    – महाभारत
  • आत्मसम्मान, आत्मज्ञान, आत्मसंयम — ये तीन गुण ही जीवन को परम शक्ति की ओर ले जाते हैं।
    – टेनीसन
  • शत्रु का प्रसन्न होना व रुष्ट होना बराबर है। वह सब प्रकार से हानि पहुंचाता है। पानी चाहे ठंडा हो या गर्म — वह अग्नि बुझा ही डालता है।
    – महात्मा विदुर
  • जब तक शरीर निरोग है, मन में आए कल्याण-कार्यों को पूरा कर लेना चाहिए। न जाने कब मृत्यु का निमंत्रण आ जाए और अच्छे पुण्यकार्य करने के श्रेय से आत्मा वंचित रह जाए।
    मनुष्य में जैसे विचार उत्पन्न होते हैं, वैसे ही वह काम कर सकता है।
    – महर्षि अरविंद
  • Suvichar Anmol Vachan Hindi
  • ज्यों ही आपने अपनी निजी विचारधारा की पकड़ खोई, समझिए कि आपकी कीमत खत्म हुई।
    – जवाहरलाल नेहरू
  • तुम्हारा विचार तभी तक तुम्हारा है, जब तक तुम दूसरों पर प्रकट न करो।
    – आचार्य चाणक्य
  • जो व्यक्ति यह सोचता है कि विज्ञान और धर्म में कोई वास्तविक विरोध नहीं है, उसे या तो विज्ञान का अल्पज्ञान है या वह धर्म से बहुत अनभिज्ञ है।
    – हेनरी
  • जो सीखता है, किंतु अपनी विद्या का उपयोग नहीं करता, वह पुस्तकों से लदा लद्दू पशु है।
    – शेख सादी
  • सुखार्थी को विद्या कहां, विद्यार्थी को सुख कहां? सुख को चाहे तो विद्या छोड़ दे, विद्या को चाहे तो सुख को छोड़ दे।
    – आचार्य चााणक्य
  • विवाह से अनेक दुष्कृत्यों पर प्रतिबंध लगता है, इसीलिए यौवन में पदार्पण करने वाले सभी तरुणों को विवाह करना चाहिए।
    – हजरत मुहम्मद
  • कोपाग्नि और दुर्भाव, ईष्र्या और प्रतिशोध विवेक को टेढ़ा कर देते हैं।
    – टिलटसन
  • तुम्हारा शरीर पवित्रता का मंदिर है।
    – बाइबिल
  • Suvichar Anmol Vachan Hindi
  • दिमाग में बहुत-सी बातें भर लेने या विविध पुस्तकें पढ़कर परीक्षाएं पास कर लेने में सच्ची शिक्षा नहीं है, बल्कि चरित्र-संगठन सच्ची शिक्षा है।
    – महात्मा गांधी
  • श्रद्धा का अर्थ अंधविश्वास नहीं है। किसी ग्रंथ में कुछ लिखा हुआ या किसी व्यक्ति का कुछ कहा हुआ अपने अनुभव के बिना सच मानना श्रद्धा नहीं है।
    – स्वामी विवेकानंद
  • जैसा आपका संकल्प होगा, उसको अपने भीतर का सच्चा बल पूरा कर देगा।
    – स्वामी रामतीर्थ
  • जब सब कार्यों के मार्ग बंद हो जाते हैं, उस समय संतोष ही सब मार्गों को निस्संदेह अच्छी तरह खोल देता है।
    – मुहम्मद बिन बशीर

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